21जुन 2017
प्रधानमंत्री मोदी के पहल से योग को पहली बार अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और परिणाम स्वरूप 21 जुन को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने योग को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की ।अभी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अपने शैशव काल में ही है ।परंतु अपने बाल्यकाल में ही यह दिवस जितनी ख्याति अर्जित कर चुका है शायद ही कोई अंतरराष्ट्रीय दिवस या यूँ कहें कि संयुक्त राष्ट्रसंघ का कोई भी कायर्क्रम ख्याति अर्जित कर पाया है ।और इसका सारा श्रेय जाता है हमारे तेजस्वी यशस्वी एवं कर्मयोगी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को ।इसके लिए प्रधानमंत्री को कोटि कोटि धन्यवाद ।परंतु योग की बात हो और बाबा रामदेव की चर्चा न हो तो बाबा रामदेव के साथ ना इंसाफी होगी ।दुसरे शब्दों में कहें तो योग की चर्चा अधुरी होगी ।वैसे तो योग का प्रचलन हमारे देश में युगों युगों से चलता आ रहा था ।परंतु योग को आम आदमी तक पहुँचाने का काम अगर किसी ने किया तो तो वह नाम है बाबा रामदेव का ।बाबा रामदेव का नाम जहाँ कहीं भी लिया जायेगा वहाँ पतंजलि योग पीठ स्वत:आ जायेगा ।
21 जुन को जहाँ सारा विश्व तीसरा विश्व योग दिवस मनायेगा वहीं हमारे प्रधानमंत्री अपने देश के ळखनऊ शहर में आयोजित होने वाले तीसरे अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम शामिल होगें ।
योग का प्रचलन प्रत्येक समाज में बढता जा रहा है ।अपने को आकर्षक और तंदुरूस्त दिखाने की चाहत के कारण युवाओं का लगाव योग के प्रति बढ़ा है ।वहीं जीवन के तीसरे एवं चौथे पङाव मे आये बुजुर्ग समाज में भी योग का प्रचलन काफी बढ़ा है ।बुजुर्गों मे योग के अधिक प्रचलन के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि उनके पास पर्याप्त समय होता जिसे बिताने की नीयत ये लोग योग को अपना लेते हैं ।योग को अपनाने से बुजुर्गों को चिकित्सक के पीछे जाने की जरुरत नहीं के बराबर प़ङती है ।रोजमर्रा की जिंदगी आसान हो जाती है ।
दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है जो पहले योग से अपने को दूर रखती थी ।लेकिन जिस तरह से महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनाी उपस्थिति दर्ज करायी है उसके कारण महिलाओं को भी अपनी जगह बनाने के लिए काफी परिश्रम करना पङता है ।अधिकांश युवतियाँ अपने को दृश्य मिडिया में बनाए रखने की इच्छुक होती हैं जिसके कारण वे अपने कैरियर को माँडलिंग की दुनिया /सिनेमा जगत की दुनिया /दूरदर्शन की दुनिया या फैशन की दुनिया की तरफ ले जाती हैं जिसके कारण भी महिलाओं का झुकाव योग की तरफ अधिक से अधिक हुआ है ।
जिस तरह से पश्चिमी जगत अपने उत्पाद को पेटेंट कर विश्व में व्यपार करते हैं और मुनाफाखोरी करते हैं ठीक उसी तरह से भारत ने भी योग को अघोषित रुप से पेटेंट कर लिया है पर मुनाफाखोरी के लिए नहीं अपितु विश्व कल्याण के लिए ।यही अन्तर है पूरब और पश्चिम का ,यही अंतर है पूर्वोत्तर और पाश्चात्य सभ्यता का ।भारत के इस तरह के कदमों से विश्व के अन्य देशों को खासकर पश्चिमी देशों को सीखने की जरुरत है ।
Yes we need to promote Yoga to get the glory of India..thanks for the post
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Thanks for reading &liking the post
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